लकवे को हरा Danish Langer ने ज्वाइन की इंडियन आर्मी
देहरादून स्थित भारतीय मिलिट्री एकेडमी (Indian Military Academy) के पासिंग आउट परेड (Passing Out Parade) के समापन के साथ ही ऐसी कहानियां निकलकर सामने आई हैं, जो प्रेरणा देती हैं| ये बताती हैं कि अगर आपमें जज्बा है तो उड़ने के लिए पूरा आकाश भी कम पड़ जाएगा|
आइएमए के पासिंग आउट परेड में 377 कैडेट्स ने भाग लिया| इस मौके पर कैडेट्स के माता-पिता और परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे| पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय थल सेना को 288 युवा सैन्य अधिकारी मिले हैं| वहीं, आठ मित्र देशों के 89 कैडेट्स ने भी इस पासिंग आउट परेड के जरिए अपनी सेना में जाने के सपने को पूरा किया| पासिंग आउट परेड में भाग लेकर युवा सैन्य अधिकारी बने जम्मू के बाबा Danish Langer की कहानी वाकई हर युवा को प्रेरित करने वाली है|
Baba Danish Langer को साल 2017 में लकवा मार गया था| गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) नाम वायरल या बैक्ट्रीरिया संक्रमण के कारण उन्हें वो सपना बिखरता दिखा, जिसे वे बचपन से देखते आ रहे थे| सेना में जाने का सपना| देश की रक्षा के लिए खुद को खड़ा करने का सपना| खुद को सेना की वर्दी में देखने का सपना| लकवा ने उनके शरीर को जकड़ा, तो एक समय उम्मीदों पर पानी फिरता दिखा|
लेकिन, Danish Langer ने हार नहीं मानी| उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के जरिए न केवल इस बीमारी को हराया बल्कि, किसी रोग के कारण उम्मीद छोड़ने वालों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए| लैंगर ने आईएमए से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद हूटिंग की और अपनी टोपी हवा में उछाल दी| तो ऐसे लगा मानो, उन्होंने उन बुरे पलों को हवा में उछाल दिया जो उन्होंने करीब पांच साल पहले ज़िन्दगी में महसूस किये थे| अब वो सेना में एक अफसर हैं और खुश हैं|
लकवा मारने के बाद से ही Danish Langer अपने लक्ष्य के प्रति ज्यादा सीरियस हो गए| सेना में शामिल होने की महत्वाकांक्षा ने उनकी इच्छाशक्ति को बढ़ाया| इसके बाद उन्होंने अपने लक्ष्य पर फोकस कर स्थिति पर काबू पा लिया| उनके पिता मृदा संरक्षण अधिकारी राजेश लैंगर ने पासिंग आउट परेड के बाद बताया कि लकवा जैसी स्थिति के बाद बेटे ने बड़े स्तर पर फिजियोथेरेपी करानी शुरू की| सेना में अधिकारी बनने के लिए उन्होंने कठिन शारीरिक परिश्रम शुरू कर दिया और महज छह माह में अपने बिगड़े स्वास्थ्य की स्थिति पर काबू पा लिया| राजेश लैंगर ने कहा कि उनके बेटे ने तमाम बाधाओं को पार कर लिया| खराब समय भी आया, लेकिन आज वो अपने परिवार के पहले सेना अधिकारी के पिता होने का गौरव महसूस कर रहे हैं|
जीबीएस एक दुर्लभ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और नर्व सिस्टम पर हमला करती है| इस संक्रमण के कारण एक साल तक कोई भी व्यक्ति बेड पर पड़ा रह सकता है| ये लोगों की गतिशीलता को प्रभावित करता है| इसका इलाज आमतौर पर प्लाज्मा एक्सचेंज जैसे इम्यूनोथेरेपी के साथ किया जाता है| Danish Langer के कई बैचमेट्स ने कहा कि वे उनके साहस को सलाम करते हैं| एक ने कहा कि उसकी जगह पर कई लोगों ने हार मान ली होती और उसके लिए भाग्य को दोष दिया होता| लेकिन, दानिश हमेशा अपने लक्ष्य को लेकर क्लियर था कि वो किसी दिन भारतीय सेना के अफसर की वर्दी पहनेगा| हम सभी उसके लिए बहुत खुश हैं|
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