ट्रक ड्राइवर का बेटा लालटेन की रौशनी में पढ़ाई कर बना IAS अफसर
कहावत है कि जहाँ मेहनत और लगन होती है, वहां सफलता एक ना एक दिन मिल ही जाती है| ऐसा ही कुछ हुआ है एक ट्रक ड्राइवर के बेटे Pawan Kumawat के साथ, जिसने इसबार UPSC पास कर एक मिसाल पेश कर दी| और साथ ही बदल दी, अपनी व अपने पूरे परिवार की किस्मत| तो आइये आपको बताते है इस होनहार लड़के की कहानी, जिसने गरीबी से निकल कर इतना बड़ा मुकाम हासिल किया|
पिता एक ट्रक ड्राइवर और बेटे का हुआ UPSC में सिलेक्शन| ये कमाल कर दिखाया है नागौर के रहने वाले पवन कुमार कुमावत ने, जो इस बक्त पूरे देश के लिए मिसाल बन गए हैं| पवन ने UPSC 2021 की परीक्षा में 551वीं रैंक हासिल की, जिसमें उनके पिता का बड़ा योगदान रहा है|
आपको बता दे, Pawan Kumawat एक बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं| पवन के पिता ट्रक ड्राइवर हैं जो कि हर महीने केवल चार-पांच हजार रूपए तक ही कमा पाते हैं, जिससे घर चलता है| लेकिन इन सबके बावजूद पिता रामेश्वर लाल ने अपने बेटे को कामयाब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी|
बेटे की पढ़ाई सकुशल चालु रहे इसके लिए पिता रामेश्वर लाल ने कर्जा तक लिया| कोचिंग के लिए पैसे की जरूरत पड़ी| समाज व परिचितों ने बिना ब्याज के भी कर्ज दिया| कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने कर्ज देने के बाद परेशान किया|
इस बारे में Pawan Kumawat ने बताया कि वो नागौर के सोमणा (जायल) में रहते थे| घरेलू हालात काफी खराब थे| उन्होंने अभाव में जीना सीख लिया था| वो वहां किसी पक्के मकान में नहीं, बल्कि एक झोपड़ीनुमा घर में रहते थे|
घर में लाइट का कनेक्शन नहीं था, जिसकी वजह से पढ़ाई के दौरान काफी दिक्कत होती थीं| इसलिए कभी पड़ोस से कनेक्शन लेते थे, तो कभी लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करते थे| गांव में कच्ची झोपड़ी में पिता मिट्टी के बर्तन बनाकर परिवार का गुजारा करते थे, लेकिन कभी भी उन्होंने पवन की पढ़ाई पर फर्क नहीं पड़ने दिया|
वो कहते हैं कि वो बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें ऐसे माता-पिता मिले| उन्होंने पवन के अंदर अपने सपनों को देखा| उनके परिवार ने उन्हें कभी हतोत्साहित नहीं किया बल्कि हमेशा सपोर्ट किया| उनकी दादी कहती थीं कि भगवान के घर में देर होती है, अंधेर नहीं|
Pawan Kumawat कहते हैं कि पिता ट्रक ड्राइवर थे, ड्राइविंग करके जो पैसा पिता जी कमाते थे, वो उनकी पढ़ाई पर खर्च हो जाते थे| कई बार घर परिवार के खर्चो से हालात कुछ ज्यादा ही विकट हो जाते थे| ऐसे में उनके पिता और दादी मोटीवेशनल किस्से-कहानियां सुनाते थे| उनके अनुसार उनके पिता जी कक्षा 7-8 तक ही पढ़े हैं, लेकिन हिम्मत, मेहनत और संघर्षो से लड़ना उनके अंदर कूट-कूट कर भरा है|
अब्राहम लिंकन, हेलन टेलर जैसे महान लोगो की कहानियां बचपन से सुन रखी थी, ये ऐसे लोग थे, जिन्होंने सीमित संसाधन में संघर्ष कर बड़े लक्ष्य को हासिल किया| तब से उनके भी दिमाग में एक बात तो बैठ गई थी कि कुछ बड़ा करना है और बड़ा आदमी बनना है| इसी दौरान, साल 2003 में 10वीं 74.33 व 2005 में सीनियर सेकेंडरी 79.92% नंबरों से पास की|
जयपुर के कॉलेज से बीडीएस किया| इसमें 61.29% नंबर थे। तभी साल 2006 में न्यूज़पेपर में हेडलाइन पढ़ी थी कि रिक्शा चालक का बेटा गोविन्द जेसवाल IAS बना है| उन्होंने ये खबर न्यूज पेपर में पढ़ी थी| इसी के बाद ठान लिया था कि जब रिक्शा चालक का बेटा IAS बन सकता है तो ट्रक ड्राइवर का बेटा क्यों नहीं बन सकता? और फिर पीछे पलटकर नहीं देखा|
फिलहाल Pawan Kumawat, बाड़मेर में जिला उद्योग केन्द्र में निर्देशक पद पर कार्यरत हैं| इसे लेकर पुवन ने बताया कि, साल 2018 में उनका RAS में सिलेक्शन हो गया था| उनकी रैंक 308वीं थी| इससे पहले भी वो दो बार यूपीएससी के इंटरव्यू दे चुके हैं, पर सफलता नहीं मिली| लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार में आईएएस बनने में सफल हुए|
आपको बता दे, साल 2018 में पवन की शादी हो गई थी| जिससे उन्हें दो साल का एक बेटा भी है| पवन की जिंदगी में तमाम मुश्किलें आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी| आज पवन सफलता के इस शिखर पर हैं कि उनकी और उनके पिता रामेश्वर लाल की हर कोई चर्चा कर रहा है| अपनी इस कामयाबी का श्रेय Pawan Kumawat अपने पूरे परिवार को देते हैं|
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