गुजरात की जल चैंपियन ने अपने इन्नोवेशंस से की 230 गांवों की मदद

डांग, नर्मदा और भरूच, गुजरात के छह आर्थिक रूप से संकटग्रस्त माने जाने वाले जिलों के तहत आते हैं। लेकिन इन जिलों के आदिवासी इलाकों में बेहतर जल प्रबंधन पर फोकस किया गया है, जिससे कई गांवों में पानी की समस्या दूर हुई है। बेहतर जल प्रबंधन की इस पहल के पीछे हाथ है Neeta Patel का, जिनके 12 साल के लंबे प्रयास के कारण ये संभव हो पाया है। नीता को अब ‘वॉटर चैंपियन‘ के नाम से जाना जाता है|

जल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में पटेल ने काफी काम किया है, जिससे इन ज़िलों के 51 गांवों में रहनेवाले 30,000 से ज्यादा निवासियों और गुजरात के दक्षिणी हिस्से में कई गांवों में रहनेवाले लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है|

Neeta Patel हर दिन एक गांव से दूसरे गांव जाती हैं| अपनी दोपहिया वाहन पर पहाड़ी क्षेत्रों को पार करते हुए, वो कभी-कभी 80 किमी से 90 किमी की दूरी तय करते हुए, दूर-दराज़ के आदिवासियों तक पहुंचती हैं| यहां, वो हजारों महिलाओं को संगठित करती हैं, पंचायतों के साथ पानी से संबंधित मुद्दों को उठाती हैं, वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स को खड़ा करती हैं और वॉटर कमेटी बनाती हैं|

Neeta Patel
Photo : in.linkedin.com

Neeta Patel ने नई दिल्ली के ‘श्री संत कबीर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट’ से रूरल स्टडीज़ में पोस्टग्रेजुएशन की है| उनका बचपन नवसारी के मोगरावाड़ी गाँव में बीता| शुरुआती दिनों में पैसों की कमी के कारण उनका समय काफी संघर्षपूर्ण रहा| लेकिन अपने माता-पिता के समर्थन और स्कॉलरशिप के कारण उनकी पढ़ाई में कभी कोई बाधा नहीं आई|

बचपन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उनके परिवार के पास एक एकड़ जमीन थी, जिस पर वे माॉनसून के दिनों में खेती करते थे| साल के बाकी समय उनके माता-पिता दूसरे के खेतों में मजदूरी करते थे| Neeta बताती हैं कि वो और उनके दो भाई कभी घास काटने, कभी गन्ने की कटाई या आम चुनने जैसे अजीबोगरीब काम करके घर की आय में योगदान देते थे और रोजाना 12 रुपये कमाते थे|

7th क्लास के बाद, वो आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए हर दिन 22 किमी पैदल चलकर पास के गांव जाती थीं| उनका कहना है कि उन दिनों स्कूल ही उनका एकमात्र सहारा था|

सूत्रों के अनुसार उन्होंने थोड़े समय के लिए नवसारी के एक संगठन के लिए काम किया और साल 2002 में एकेआरएसपी या आगा खान ग्रामीण सहायता कार्यक्रम (भारत) में डेवलपमेंट ऑर्गेनाइज़र के रूप में शामिल हुईं, जहां उन्हें कंबोडिया गांव भेज दिया गया|

कंबोडिया गांव, भरूच ज़िले के वालिया तालुका में है| ये कम आबादी वाला गांव था, जहां करीब 408 घरों में 2,000 लोग रहते थे| जब Neeta Patel इस गांव में गईं, तो पता चला कि यहां पीने के पानी की गंभीर समस्या है| फिर उन्होंने गांववालों को वॉटर सप्लाई चैनल स्थापित करने की योजना बनाने में सहायता की और पंचायत की स्वीकृति के लिए उनके सामने योजना राखी| लेकिन पंचायत ने उनकी याचिका खारिज कर दी| उस समय उनकी उम्र 23 साल थी|

पंचायत के मना करने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी| एक साथ कई दिनों तक, पटेल ने ग्रामीणों को लामबंद किया और आख़िरकार पंचायत को राजी कर लिया, जिसके परिणामस्वरूप 200 घरों को नियमित रूप से पानी की सप्लाई मिली|

Neeta Patel, जल संरक्षण गतिविधियों में अपनी सफलता का श्रेय लोगों से मिले अपार समर्थन को देती हैं, जिसमें कई आदिवासी और महिलाएं शामिल हैं| पटेल देश के विभिन्न हिस्सों की 41 महिलाओं में से थीं, जिन्होंने पानी के बारे में जागरूकता बढ़ाई और हालातों में सुधार किया| उन्हें पिछले साल भारत में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा सम्मानित किया गया है| उनका कहना है कि ये देखकर उन्हें बहुत खुशी और संतुष्टि मिलती है कि छोटे-छोटे प्रयासों से कैसे आज गांव में रहनेवाली महिलाएं भी सशक्त हो गई हैं और उनमें फैसले लेने की काबिलियत भी आ गई है|

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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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