लॉकडाउन में बच्चों की ज़िन्दगी को अनलॉक कर रहा है ये दंपति
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए स्कूल, कॉलेज सहित तमाम महाविद्यालय बंद हैं| ज्यादातर स्कूल और कॉलेज ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं| लेकिन महाराष्ट्र के ठाणे जिले के अधिकांश आदिवासी दुर्गम इलाकों में न तो समय से बिजली रहती है और न ही वहां के विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के पास मोबाइल, लेपटॉप एवं टीवी आदि की व्यवस्था है| इसके कारण यहां के विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं| ऐसे में भिवंडी के एक दंपती अपने काम से समय निकालकर इन बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास कर रहा है|
भिवंडी तालुका के भरे गांव के रहने वाले Rupesh Sonawade एलएलबी के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी हैं और पत्नी Reshma मनपा में सफाई कर्मचारी हैं| हालांकि रेश्मा ने प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए डी.एड. भी किया है, लेकिन शिक्षक की नौकरी न मिलने के कारण वो सफाई कर्मचारी के रूप में काम कर रही हैं| कोरोना काल में वह सफाई कर्मचारी के रूप में ड्यूटी देने के साथ ही दोपहर के बाद आदिवासी इलाकों में विद्यार्थियों को पढ़ा भी रही हैं| दोनों (पति-पत्नी) अप्रैल से लगातार पढ़ा रहे हैं|
Reshma ने बताया कि तमाम असुविधाओं के कारण आदिवासी विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है, लेकिन उन्हें पढ़ाकर सुखद अनुभव हो रहा है| वहीं, Rupesh Sonawade ने बताया कि आदिवासी विद्यार्थियों को कविता, शारीरिक शिक्षा, व्यक्तिगत सफाई, कोरोना काल के दौरान मास्क का उपयोग करना एवं कवायद आदि भी सिखाया जा रहा है| पढ़ाई के तनाव को कम करने के लिए गानों पर डांस करके सिखाने का प्रयास किया जा रहा है| अप्रैल की शुरुआत में 15 से 20 विद्यार्थी ही आते थे, अब पहली से 10वीं तक के 40 से 50 विद्यार्थी आ रहे हैं|
आदिवासी विद्यार्थी बताते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा से उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है| विद्यार्थियों ने बताया कि उनके पास मोबाइल ही नहीं हैं| कई आदिवासी घरों में बिजली नहीं है, टीवी नहीं है, उन विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा का लाभ कैसे मिल सकता है? छात्रों ने बताया कि उनकी जो पढ़ाई अधूरी थी, उसे उन्होंने पूरा कर लिया है| Rupesh Sonawade एवं Reshma ने बताया कि कई आदिवासी परिवारों में दो समय के खाने की व्यवस्था तक नहीं है| ऐसे परिवार अपने बच्चों को मोबाइल कैसे दे सकते हैं? जिनके पास मोबाइल है भी, उनके नेटवर्क नहीं है| ऐसी ऑनलाइन शिक्षा का क्या फायदा? आदिवासी विद्यार्थियों के अभिभावकों ने स्कूल खोलने की मांग की है|
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