Lockdown में वक़्त का सही उपयोग इस गाँव से सीखिए

लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान घरों के अंदर जहाँ कुछ ने नए व्यंजनों को सीखा है, कई ने नई भाषा कौशल और कई ने अभी तक अलग-अलग स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर फिल्मों का मज़ा लिया है, वहीँ उत्तराखंड के एक गांव के लोगों ने अपने गांव में एक सड़क के पुनर्निर्माण के लिए समय का उपयोग किया है|

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खड़की जो कि लगभग 40 परिवारों का घर है, के ग्रामीणों के अनुसार, लगभग एक दशक पहले 6 लाख रुपये की लागत से नैनीताल जिले के शिलौटी में उनके गाँव को जोड़ने के लिए सरकार द्वारा 3-किलोमीटर लंबा एक खंड बनाया गया था। ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने कुछ समय के लिए सड़क का इस्तेमाल किया लेकिन आखिरकार वो खराब हो गया। भूस्खलन से मलबा जमा होने लगा और चारों तरफ झाड़ियाँ उग आईं। जैसे ही अधिकारियों को दूसरा रास्ता दिखा, ग्रामीणों को मज़बूरी में उस अलग सड़क का उपयोग करना पड़ा|

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खड़की गांव के निवासी दुर्गादत्त पलड़िया ने कहा कि ट्रैक मुश्किल से डेड़ मीटर चौड़ा था। ग्रामीणों ने कुछ समय के लिए इसका इस्तेमाल किया, लेकिन इसके रखरखाव के लिए जिम्मेदार लोगों की लापरवाही के कारण रास्ता जल्द ही झाड़ियों और पत्थरों से ढंक गया।

ग्रामीणों ने कहा कि सड़क की मरम्मत के लिए बार-बार अनुरोध बावजूद शासन के बहरे कानों पर कोई असर नहीं पड़ा| हालांकि, लॉकडाउन के चलते उनके पास काफी समय था, इसलिए ग्रामीणों ने खुद सड़क को दोबारा बनाने के बारे में सोचा|

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एक अन्य ग्रामीण विनोद कुमार आर्य ने बताया कि उन्होंने गाँव के लगभग 25 लोगों को इकट्ठा किया और अलग-अलग हिस्सों को साफ़ करने के लिए छोटी टीमों में काम करने का फैसला किया|

नैनीताल के जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने कहा कि वो सड़क बनाने में ग्रामीणों की मदद करेंगे। महामारी ख़त्म होने के बाद वो परियोजना के लिए प्रशासन के विवेकाधीन कोष या राज्य कोष का उपयोग करेंगे|

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निवासियों ने कहा कि वे सड़क पर काम करने वाले सभी लोगों के लिए बारी बारी से खाना बनाते थे। अधिकांश लोगों ने सड़क को ठीक करने के लिए नियमित घरेलू उपकरणों का उपयोग किया। उचित उपकरण की कमी और जंगली जानवरों जैसे तेंदुए और बाघों सहित बार-बार जंगल में काम करने के खतरे सहित कई चुनौतियाँ थीं, लेकिन वे कायम रहे।

आखिरकार, लगभग एक महीने में, सड़क को कम से कम 2 मीटर चौड़ा, पूरी तरह से साफ और चपटा कर लिया गया। एक ऐसा रास्ता जिसपर पहले चलना भी मुश्किल था, अब उसपर एक मोटरसाइकिल आराम से चल सकती है। पलड़िया ने कहा कि पहली बार, एक दोपहिया वाहन उनके गाँव में पहुँचा। कई पीढ़ियों से वो लोग तीन किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते थे, लेकिन अब सड़क को चौड़ा कर दिया गया है और लोग आसानी से मोटरसाइकिल चला सकते हैं।

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ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने सड़क पर काम करते समय सभी लॉकडाउन प्रतिबंधों का पालन किया और सामाजिक सुरक्षा को बनाए रखते हुए सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक काम किया, जिसके दौरान लॉकडाउन में ढील दी गई थी|

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Geeta Rana

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