8वीं पास Ruma Devi के हौसलों ने पहुँचाया उन्हें झोपड़ी से विदेश तक

Ruma Devi राजस्थान के बाड़मेर जिले की रहने वाली हैं| राजस्थानी हस्तशिल्प जैसे साड़ी, बेडशीट, कुर्ता समेत अन्य कपड़े तैयार करने में इनको महारत हासिल है| इनके बनाए गए कपड़ों के ब्रांड विदेशों में भी फेमस हैं| ये भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर जिले के करीब 75 गांवों की 22 हजार महिलाओं को रोजगार मुहैया करवा रही हैं| इनके समूह द्वारा तैयार किए गए उत्पादों का लंदन, जर्मनी, सिंगापुर और कोलंबो के फैशन वीक्स में भी प्रदर्शन हो चुका है|

Ruma Devi
Photo : youtube.com

वर्तमान में Ruma Devi भले ही हजारों महिलाओं का जीवन संवार रही हों, मगर इनके खुद के जीवन की शुरुआत ही संघर्ष से हुई| बाड़मेर जिले के गांव रातवसर में खेताराम व इमरती देवी के घर नवम्बर 1988 में रूमा देवी का जन्म हुआ| पांच साल की उम्र में रूमा ने अपनी मां को खो दिया| फिर पिता ने दूसरी शादी कर ली| 7 बहन व एक भाई में रूमा देवी सबसे बड़ी हैं|

Ruma Devi अपने चाचा के पास रहकर पली-बढ़ी| गांव के सरकारी स्कूल से महज आठवीं कक्षा तक पढ़ पाई| राजस्थान में पेयजल की सबसे अधिक किल्लत बाड़मेर में है| यहां भूजल स्तर मानो ख़त्म ही हो चुका है| ऐसे में रूमा ने वो दिन भी देखें जब इन्हें बैलगाड़ी पर बैठकर घर से 10 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था|

बाड़मेर में 1998 में ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान बाड़मेर (जीवीसीएस) नाम से एनजीओ बना| इसका मकसद था राजस्थान के हस्तशिल्प उत्पादों के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना| वर्ष 2008 में रूमा देवी भी इस संस्थान से जुड़ी और जमकर मेहनत की| हस्तशिल्प उत्पादों के नए नए डिजाइन तैयार किए| बाजार में मांग बढ़ाई| वर्ष 2010 में इन्हें इस एनजीओ की कमान सौंप ​दी गई| अध्यक्ष बना दिया गया| एनजीओ का मुख्य कार्यालय बाड़मेर में ही है|

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Photo : mid-day.com

ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के सचिव विक्रम सिंह बताते हैं कि हमारे एनजीओ से आस-पास के तीन जिलों की करीब 22 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं| ये म​हिलाएं अपने घरों में रहकर हस्तशिल्प उत्पाद तैयार करती हैं| बाजार की डिमांड के हिसाब से इन्हें ट्रेनिंग और तैयार उत्पाद को बेचने में मदद एनजीओ द्वारा की जाती है| सभी महिलाओं के कामकाज का सालाना टर्न ओवर करोड़ों में है|

महज 17 साल की उम्र में Ruma Devi की शादी बाड़मेर जिले के ही गांव मंगल बेरी निवासी टिकूराम के साथ हुई| इनका एक बेटा है लक्षित, जो अभी स्कूल की पढ़ाई कर रहा है| टिकूराम नशा मुक्ति संस्थान जोधपुर के साथ मिलकर काम करते हैं| रूमा देवी ने बाड़मेर में मकान बना रखे हैं जबकि इनका बचपन गांव रावतसर की झोपड़ियों में बीता|

Ruma Devi संघर्ष, मेहनत और कामयाबी का दूसरा नाम है| इन्हें भारत में महिलाओं के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘नारी शक्ति पुरस्कार 2018’ से सम्मानित किया जा चुका है| 15 व 16 फरवरी 2020 को अमेरिका में आयोजित दो दिवसीय हावर्ड इंडिया कांफ्रेस में रूमा देवी को भी बुलाया गया था| तब इन्हें वहां अपने हस्तशिल्प उत्पाद प्रदर्शित करने के साथ-साथ हावर्ड यूनिवर्सिटी के बच्चों को पढ़ाने का मौका भी मिला| इसके अलावा रूमा देवी ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर भी नजर आ चुकी हैं|

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Photo : swarajyamag.com

ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटीं Ruma Devi सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी एक्टिव हैं| इनके फेसबुक पेज को 1 लाख 64 हजार लोगों ने लाइक कर रखा है| ट्विटर पर इन्हें 6 हजार 500 लोग फॉलो करते हैं| सोशल मीडिया पर रूमा देवी अपने हस्तशिल्प उत्पादों के बारे में अक्सर बताती रहती हैं|

Ruma Devi पर हाल ही में किताब भी लिखी गई है, जिसका नाम ‘हौसले का हुनर’ है| निधि जैन द्वारा लिखी गई किताब ‘हौसले का हुनर’ में रूमा देवी के संघर्ष और उनकी सफलता की पूरी कहानी बयां की गई है| किताब में बताया गया है कि रूमादेवी ने अल्पशिक्षा, संसाधनों की कमी, तकनीकी अभाव के बावजूद किस तरह से सफलता के शि‍खर पर अपनी जगह बनाई| खुद अपने गांव से निकलकर विदेशों तक पहुंची और हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया|

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Geeta Rana

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