Rameshwar Kushwaha की आत्मनिर्भरता की कहानी

कहते हैं सोच से संभावनाओं तक का सफ़र हौसलों से होकर गुजरता है| लोगों को सुनने में हैरत होगी, लेकिन राख से कोयला और बिजली बनाना संभव हो गया है| और इस काम को कर दिखाया है कुंडिलपुर पंचायत के मंझरिया गांव निवासी व पूर्व पैक्स अध्यक्ष Rameshwar Kushwaha ने|

राख से बने इनके कोयले पर भारत सरकार की मुहर लग गयी है| उनके इस काम को सरकार ने पेटेंट भी कर लिया है|

Rameshwar Kushwaha
Photo : internet

Rameshwar Kushwaha कुंडिलपुर पैक्स के अध्यक्ष रह चुके हैं| उनके इस प्रयास से पश्चिमी चंपारण में बने चारकोल ब्रिक्स (coal from ashes) से लोगों के घरों में कम खर्च पर खाना बन सकेगा| साथ ही इस कोयले से बिजली और देश को औद्योगिक दृष्टिकोण से मजबूत बनाने में मदद मिलेगी|

Rameshwar Kushwaha पिछले आठ सालों से इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं| और अब उन्हें उनके इस प्रयास में सफलता मिल चुकी है| सरकार ने रामेश्वर को देश में प्लांट लगाने और हर संभव मदद का फैसला किया है|

Rameshwar Kushwaha
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Rameshwar के मुताबिक़, चारकोल ब्रिक्स को rice mill के wastage (धान का भूसा) ,पराली और गन्ने के सूखे पत्ते को मिलाकर बनाया है| इसकी लागत काफी कम और ये प्रदूषणमुक्त (pollution free) है| इसको जलाने से किसी तरह की गंध भी नहीं आती है| कोयले के इस्तेमाल के बाद निकलने वाली राख खेतों में छिंटी जा सकती है|

Rameshwar Kushwaha की ये उपल्बधि देश के लिए गर्व की बात है| उनका ये प्रयास चंपारण में एक नयी औद्योगिक क्रांति लेकर आएगा|

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Geeta Rana

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