लाखों लोगों की प्रेरणा हैं Amir Hussain
1997 में, Amir केवल 8 साल के थे, जब उन्होंने अपने पिता की sawmill में हुई गंभीर दुर्घटना में अपने दोनों हाथों को खो दिया| वो अपने भाई को खाना देने के लिए गया था और खेलते-खेलते अचानक उसके हाथ एक आरी में फँस गये| वो गंभीर चोटों के साथ, 3 साल तक अस्पताल में रहा| दुर्घटना के कारण, उसके पिता को सभी मेडिकल रिक्वाइर्मेंट्स और Amir के rehabilitation के पैसे देने के लिए बिज़्नेस और जमीन बेचनी पड़ी।
अगर उनका परिवार उनका साथ नहीं देता तो शायद वो अपनी आशा खो देता| उनकी दादी का उनके लिए पूरा सपोर्ट रहा और उन्होनें Amir को दोबारा स्कूल जाने के लिए मना लिया| लेकिन वहां उसके लिए सबकुछ ठीक नहीं था| टीचर्स ने कह दिया था कि वो स्कूल के लिए मिस्फीट है और उसे विकलांगों के लिए बने स्कूल जाना चाहिए। उनके पिता को criticized किया गया और उनके रिश्तेदारों और दोस्तों ने भी उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उनके पिता ने अपना भाग्य बेटे को पालने के लिए लगा दिया| वो किसी की बात से नहीं रुके और अपने बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए आगे बढ़ते रहे| उन्हें Amir से अपने शरीर के एक हिस्से की तरह प्यार था, उन्होनें सोचा जब उनका बेटा ही ठीक नहीं है तो उन्हें पैसों की क्या ज़रूरत है|
जब लोगों की बढ़ती असमर्थता, स्वाभाविक रूप से, Amir को डगमगा सकती थी, उसने इसे खुद की ताक़त बनाया|
इन सब बातों के बीच, Amir हमेशा से क्रिकेट खेलना चाहते थे| उन्हें क्रिकेट बहुत पसंद था और वो जानते थे कि वो खुद को इससे दूर नहीं रख सकते हैं| हालांकि, उनकी इस पसंद की वजह से बहुत बार उनका मजाक उड़ाया गया| उन्होनें हार नहीं मानी क्यूंकी ये एक option नहीं था। वो जानते थे कि वो क्या कर रहे थे और ऐसा करने के लिए उनका पूरा दिल और इरादा था।
Practice करते-करते काफ़ी समय बीत गया| आज अगर पूछा जाए कि बिना हाथों के क्रिकेट कौन खेल सकता है? तो यक़ीनन ही जवाब होगा.. सिर्फ़ Amir Hussain| उनकी टेक्नीक बहुत ही अद्वितीय और असाधारण है। उनका दाहिना पैर बहुत सटीक है, वो गेंद को पकड़ने के लिए आसानी से पैर घूमाकर उसे विकेट की तरफ फैंकते हैं| उनकी गेंदबाजी right hander की तुलना में काफ़ी बेहतर और साफ है। वो अपने ठोड़ी और कंधे के बीच बल्ले को पकड़कर बल्लेबाजी करते हैं| वो फीलडिंग के वक़्त catch और throw के लिए अपने दाहिने पैर का इस्तेमाल करते हैं|
वो जानते हैं कि उनके इस incident के बाद उनके परिवार ने उनके लिए सबकुछ किया और सबकुछ खोया है| वो सिर्फ़ खुशियाँ लाना और अपने अपने आस-पास खुशियाँ फेलाना चाहते हैं| एक independent इंसान बनकर, आज Amir कपड़े धोने से, खुद को साफ़ रखने और अपना खाना बनाने और खाने जैसा काम खुद करते हैं|
इस युवा को कश्मीर की राज्य-पैरा क्रिकेट टीम में कप्तान के रूप में जगह मिली है। आज, Amir अपने सपनों को पूरा करने के करीब है, जो शायद हमसे से बहुत लोग नहीं कर सकते| आज जहाँ हम लोग कुछ बनने या कुछ करने में बिज़ी हैं, वहीं Amir ने एक असंभव काम को संभव कर दिखाया है|
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