भले ही कुदरत ने अपाहिज बनाया लेकिन मेहनत ने ऊँचा मुकाम दिलाया
हर इंसान की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं, कई लोगों की हिम्मत टूट जाती है और वो निराश होकर जिंदगी की राह में पीछे छूट जाते हैं। वहीं कुछ लोग जिंदगी की राह में आने वाली तमाम चुनौतियों का डटकर मुकाबला करते हुए अपने मंज़िल को हासिल कर लेते हैं| Ummul Kher एक ऐसा ही नाम है जिसने साबित कर दिया कि जिंदगी में कुछ करने की चाहत और जुनून हो तो कुछ भी हो सकता है| बचपन से ही कई बाधाओं का सामना करने वाली इस लड़की ने कभी हार नहीं मानी, परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया और अपने आईएएस बनने के सपने को साकार किया|
यूपीएससी 2016 में अपने पहले एटेम्पट में ही 420वीं रैंक हासिल कर सफलता का शानदार परचम लहराने वाली Ummul Kher बचपन में ही विकलांग पैदा हुई और उन्होंने विकलांगता को अपनी ताकत बनाते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गई| राजस्थान के पाली मारवाड़ की रहने वाली उम्मुल बचपन से ही अजैले बोन डिसऑर्डर नाम की बीमारी से ग्रसित हैं, एक दुर्लभ बीमारी जो आमतौर पर नाजुक हड्डी संबंधी विकार के रूप में जानी जाती है| इस बीमारी ने उनके जीवन को बेहद मुश्किल भरा बना दिया| दूसरी चुनौती ये थी कि गरीबी भी उन्हें विरासत में मिली थी|
Ummul के पिता सड़क किनारे फुटपाथ पर मूंगफली बेचा करते थे| दिल्ली में निजामुद्दीन के पास स्थित झुग्गियां में पूरा परिवार गरीबी और संघर्षों से जूझता था| साल 2001 में झुग्गियां टूटने के बाद वो त्रिलोकपुरी चले गए| उम्मुल को बचपन में ही इस बात की समझ हो चुकी थी कि अगर जिंदगी को बेहतर बनाना है तो इसके लिए शिक्षा बेहद जरुरी है। लेकिन परिवार के लोग नहीं चाहते थे कि वो आगे की पढ़ाई करें| इसी दौरान उनकी माँ का देहांत हो गया। माँ उनके लिए एकमात्र सहारा थी जो हर परिस्थिति में बेटी का साथ देती थी| घर में सौतेली माँ आई तो उनके साथ उसका रिश्ता बेहतर नहीं रहा और उन्हें घर छोड़ने पर विवश होना पड़ा| उन्होंने एक किराये का मकान लिया और विषम आर्थिक परिस्थिति में भी ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च चलाया|
Ummul ने पांचवीं तक की पढ़ाई आईटीओ में बने एक दिव्यांग स्कूल में हासिल की| उसके बाद आठवीं तक कड़कड़डूमा के अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट में पढ़ाई की| आठवीं की परीक्षा वो अव्वल नंबर से पास हुई और उन्हें स्कॉलरशिप का लाभ मिला| स्कॉलरशिप की बदौलत उन्हें एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने का मौका मिला| दसवीं में 91% और 12वीं 90% अंक हासिल करने के बाद उम्मुल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज में साइकोलॉजी से ग्रेजुएशन किया| इस दौरान भी उन्होंने अपने ट्यूशन पढ़ाने के काम को जारी रखा|
आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी का रुख किया और मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद वहीं एमफिल में एडमिशन ले लिया| अपनी रेगुलर पढ़ाई में वो इतना व्यस्त हो गईं कि उन्हें उनके आईएएस बनने के सपने को साकार करने के लिए वक्त ही नहीं मिल रहा था| पिछले साल जनवरी में उन्होंने यूपीएसी के लिए तैयारी शुरू की और अपनी पहली कोशिश में ही 420वां रैंक हासिल करने में सफल रहीं|
एक वक़्त पर जिस परिवार ने Ummul Kher का साथ छोड़ दिया था, आज उस परिवार की गलतियों को वो माफ़ कर चुकी हैं| गरीबी और विकलांगता को मात देकर बेमिसाल सफलता का उदाहरण पेश करने वाली इस बहादुर लड़की के जज़्बे को जितनी बार सलाम किया जाए, कम है|
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