कोरोना संकट में जहाँ आम आदमी है परेशान, भगवान बना है ये इंसान
कोरोना के चलते लॉकडाउन से जो स्तिथि है, उससे दिहाड़ी मजदूर, माइग्रेंट वर्कर और समाज के निचले तबके में जी रहे लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो जा रही है| मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, गुजरात सहित दूसरे शहरो में रह रहे लोगों को बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है|
ऐसे में कई लोग मदद के लिए सामने आए हैं| ऐसे ही मददगारों में से एक तमिलनाडु के टेक्सटाइल सिटी त्रिपुरा के कलेक्टर आईएएस Dr. K. Vijayakarthikeyan पूरे जिले में लोगों को खाना खिला रहे हैं| उनकी कोशिश है कि फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों से लेकर कोई भी जरूरतमंद भूखा न सोए|
उनके शहर की जनसंख्या करीब 3 लाख है, जहाँ असम, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के ज्यादातर लोग रहते हैं| देश में लॉकडाउन लगने के बाद से ही कई ज्यादा मजदूर फंसे हुए थे और खाने-पानी को मोहताज हो गए थे|
ऐसे में आईएएस K. Vijayakarthikeyan अफसर उनकी मदद को आगे आये| उनका मानना था कि इन्हीं वर्कर्स के काम करने से शहर चलता है| ऐसे में वो उन्हें किसी तरह से परेशानी में नहीं देख सकते थे| उनका कहना है कि कुछ वर्कर्स को तो संसाधन मिल गए थे, लेकिन सभी की किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी| ऐसे में उनकी कोशिश थी कि वो हर जरूरतमंद तक पहुंच जाएं|
इसलिए उन्होंने 24 घंटे काम करने वाला एक कंट्रोल रूम बनाया| इसके बाद उन्होंने 62 हजार लोगों को खिलाने की व्यवस्था शुरू की| उन्होंने सभी वर्कर्स की जानकारी इकट्ठी की और फिर उन्हें मॉनिटर करने का काम शुरू किया|
उन्होंने वर्कर्स को तीन ग्रुप में बांटा| पहला ग्रुप जहां मालिक अपने यहां काम करने वालों का खुद ख्याल रख रहे थे , दूसरा जहां ऐसे लेबर हैं जिनके पास खाने को तो था , लेकिन रहने को घर नहीं था और तीसरा जिनके पास कुछ नहीं था| ऐसे में उनका फोकस तीसरे ग्रुप के लोगों पर ज्यादा था|
उन्होंने कंट्रोल रूम में एक खास व्यवस्था के मद्देनज़र वहां हर भाषा को समझने वालों की तैनाती की| ताकि किसी भी राज्य के किसी भी भाषा का जरूरतमंद आए तो उसे मदद मिल सके| उनके साथ करीब 1200 वालंटियर्स भी जुट गए और काम करने लगे| K. Vijayakarthikeyan के काम की हर जगह तारीफ हो रही है|
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