Rajeshwari Singh पर्यावरण की खातिर चली हज़ार किलोमीटर पैदल
आज की हमारी कहानी एक सफर पर निकले हुए इंसान की है। इनका नाम है Rajeshwari Singh और उम्र है 32 साल। क्या कमाल का काम किया है इन्होनें।
45 दिन में 1100 किलोमीटर का सफर तय किया है, वो भी पैदल चल कर। ऐसा क्यों किया इन्होंने? क्या वजह थी ऐसा करने के पीछे? चलिये आपको बताते हैं। तो बड़ोदरा, गुजरात से लेकर दिल्ली तक का सफर 45 दिनों में तय करके Rajeshwari लोगों को संदेश देना चाहती थी प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के बारे में।
आप और हम, सब जानते हैं कि कई बार लोगों को अलग-अलग तरीके से प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के बारे में जागरूक करने की कोशिश सरकार और प्रशासन करते रहें हैं। कई बार ऐसा होता है कि लोग समझते हैं और कई बार ऐसा होता है कि लोग उस सीख को नजरअंदाज कर देते हैं।बस उसी सीख को लोग भूलें नहीं और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुह ना मोड़ें, इसलिए Rajeshwari Singh ने यह सफर पूरा किया है। Rajeshwari का कहना है कि रास्ते में सफर के दौरान उन्हें जो भी लोग मिले, उन सब ने भी उनका साथ दिया और उनकी बात को समझे भी और कई लोगों ने यह प्रण भी लिया कि वह प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरीके से बंद कर देंगे।
दिल्ली पहुंचने पर यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम के अधिकारी Erik Solheim की तरफ से उन्हें सम्मानित भी किया गया। यह संदेश लोगों तक और भी पुख्ता तौर पर पहुंचे इसके लिए Rajeshwari Singh ने यह तक सुनिश्चित किया कि वह रास्ते में अपने साथ किसी भी तरीके की पानी की बोतल जो कि बहुत बड़ा स्रोत है प्लास्टिक के इस्तेमाल का, उसको लेकर नहीं चलेंगी।
प्लास्टिक का इस्तेमाल करने कम करने के लिए वह भी सलाह देती हैं कि लोग पानी इत्यादि एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए अलमुनियम की बोतल का इस्तेमाल करें और साथ ही साथ सामान आदि की खरीदारी में कपड़ों से बने बैग का इस्तेमाल करें जहां पर कि आप एक ही बैग को बार-बार अलग-अलग चीजों को खरीदने के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं।
वाकई पर्यावरण को अब हमारी जरूरत है। इंसान ने अपनी जरूरतों की आड़ में अंधा होकर पर्यावरण को इस हद तक नुकसान पहुंचा दिया है कि अब उसे ठीक करने के लिए किसी बहुत बड़े मुहिम की जरूरत है जहां पर विश्व भर के लोगों को एक साथ आकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेना होगा और उसे बचाने के लिए छोटी-छोटी चीज़ें, छोटे-छोटे कदम धीरे-धीरे उठाने होंगे ताकि एक बड़ा बदलाव हमारे सामने आ सके। क्योंकि वह कहते हैं ना बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है। नेक इन इंडिया Rajeshwari Singh को उनकी नेकी और उनके नेक संदेश के लिए बहुत बढ़ाई देता है।
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