Captain Nishanth Nair की सूझबूझ से बची 4 महीने की बच्ची
वह कहते हैं ना जाको राखे साइयां मार सके ना कोय, आज जो कहानी हम आपके लिए लेकर आए हैं इसको पढ़ने के बाद इस कहावत में आपका यकीन, आपका विश्वास और भी ज्यादा पक्का, और भी ज्यादा मजबूत हो जाएगा।
हुआ यूं कि उड़ीसा के रहने वाले Singari Singh अपनी बेटी, अपनी पत्नी पुलाची सिंह और अपने दोस्त Subal Sahu के साथ भुवनेश्वर से बेंगलुरु जाने वाली एक हवाई जहाज पर चढ़ते हैं। बेंगलुरु जाने के पीछे उनका मकसद यह है कि उनकी बेटी जिसे कि दिल की एक बीमारी है, उसका इलाज नारायणा हृदलाय हस्पताल में करवाना है।
अब सिंगारी सिंह जो है, वह एक बिस्किट की फैक्ट्री में काम करते हैं और फैक्ट्री वर्कर्स के पास ज्यादा पैसा तो होता नहीं यह बात हम सब जानते हैं। तो हम यह कह सकते हैं कि आज की हमारी कहानी में नेकी के नायक एक नहीं बल्कि दो हैं। पहले नेकी के नायक हैं Singari Singh के दोस्त Subal Sahu। अब आप पुछेंगे वो कैसे, तो वो ऐसे कि साहू जी बिस्किट फैक्ट्री के यूनियन लीडर हैं और उन्होंने Singari Singh की बेटी के इलाज के लिए पैसे इकट्ठा करने में मदद की। अब एक बार हवाई जहाज पर चढ़ जाने के बाद सब कुछ सही चल रहा था मगर फ्लाइट के लैंड करने से 40 मिनट पहले यानी की फ्लाइट लैंड होने में अभी 40 मिनट का वक्त बाकी था और ठीक उसी वक्त अचानक बच्ची की सांस रुक जाती है।
घर वाले और साथ ही साथ हवाई जहाज का पूरा स्टाफ परेशान हो जाता है कि आखिर हुआ क्या। यहां पर हमारी कहानी में एंट्री होती है कहानी के दूसरे नायक की। यह नेकी के नायक हैं हवाई जहाज के Captain Nishanth Nair। Nishanth अपनी को पायलट रूतु गोस्वामी के साथ मिलकर के तुरंत ही गणित लगाते हैं कि कौन से हवाई अड्डे पर जहाज को जल्द से जल्द उतारा जा सकता है। उनके गणित में यह हवाई अड्डा निकल कर आता है हैदराबाद। एक क्षण भी व्यर्थ किए बगैर तुरंत हैदराबाद के एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर को Nishant Nair कॉल करते हैं कि वह अपने हवाई जहाज को बेंगलुरु के बजाय हैदराबाद लेकर आ रहे हैं और उसकी वजह टावर वालों को समझा देते हैं।
यहां से जैसे ही खबर जाती है वहां दूसरी तरफ हैदराबाद हवाई अड्डे पर आनन-फानन में बच्ची को बचाने की सारी तैयारियां और हवाई जहाज के जल्द से जल्द उतारने की तैयारियां पूरी कर ली जाती है और 25 मिनट के अंदर हवाई जहाज हैदराबाद हवाई अड्डे पर उतरता है। हैदराबाद हवाई अड्डे पर उतरते ही बच्ची को इलाज के लिए तुरंत ले जाया जाता है इस तरीके से Nishanth Nair की सूझबूझ की वजह से उस बच्ची की जान बच जाती है।
कहना बिल्कुल सही होगा कि नेकी का ऐसा बेहतरीन उदाहरण देखकर वाकई दिल भर आता है। Singari Singh के दोस्त कहते हैं कि जैसे ही बच्चे की धड़कन रुकी बहुत ही ज्यादा परेशान हो गये थे, और साथ ही वह बहुत ही धन्यवाद करते हैं हवाई जहाज के स्टाफ का जिनकी समझदारी और वक्त रहते उनके फैसले लेने की वजह से बच्चे की जान बच गयी। Nishanth Nair , हम आपको दुआएं देते हैं कि आप अपने करियर में और भी ज्यादा ऊंचाइयों को प्राप्त करें और ईश्वर आपकी हर मनोकामना पूरी करें। नेक इन इंडिया की तरफ से आपको बहुत-बहुत बधाई।
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