81 साल के बुजुर्ग का लंगर, मिटा रहा है लोगों की Hunger
कोरोना लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा प्रवासी मज़दूरों को प्रभावित किया है| काम छिन जाने के कारण उनके सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया और जब बचत के पैसे खत्म हुए तो वो पैदल ही अपने-अपने गांव घरों के लिए चल पड़े| मुसीबत की इस घड़ी में देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग उनकी मदद के लिए आगे आए|
किसी ने उन्हें खाना खिलाया, किसी ने चप्पल जूते दिए, तो किसी ने फल-फ्रूट्स बांटे| इसी कड़ी में 81 साल का एक बुजुर्ग सिख लोगों के लिए रोजाना फ्री में लंगर का आयोजन कर रहा है| उसकी कोशिश है कि कोई भी गरीब भूख से न मरे| खैरा बाबाजी के नाम से प्रसिद्ध Baba Karnail Singh Khaira, राष्ट्रीय राजमार्ग -7 पर करणजी के पास एक प्लास्टिक की चादरों से ढके एक छोटे से टीनशेड में राहगीरों के लिए लंगर सेवा चलाते हैं|
जिस स्थान पर Khaira Baba का ये टीनशैड मौजूद है, वो एक आदिवासी क्षेत्र है| उसके पीछे लगभग 150 किलोमीटर और करीब 300 किलोमीटर आगे तक कोई भी खाने का ढाबा या रेस्तरां नहीं है| लिहाजा, लोग 24 घंटे चलने वाली इस लंगर सेवा का लाभ ज़रूर उठाते हैं| पिछले दो महीनों से लॉकडाउन के दौरान इस हाईवे से गुजरने वाला शायद ही कोई बस, ट्रक, टेम्पो और अन्य वाहन होगा, जिसने यहां रुक कर इस ‘गुरु के लंगर’ का स्वाद ना चखा हो|
न्यूज एजेंसी आईएनएस से बात करते हुए Khaira Baba जी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास रोज़ाना आने वाले लोगों की भीड़ थी| सभी का उन्होंने मुस्कुराकर और हाथ जोड़कर स्वागत किया| जाति, धर्म की परवाह किए बिना लंगर का खाना तैयार करने में जुटे सेवक और सेविकाओं ने खूब मेहनत की| 17 लोगों की उनकी टीम में 11 रसोइए हैं, बाकी सब्जी काटने से लेकर खान परोसने जैसे अन्य काम करते हैं|
निश्चित तौर पर बिना पैसे के ये सब संभव नहीं था| सौभाग्य से Khaira Baba जी के सबसे छोटे भाई गुरबक्श सिंह खैरा, न्यू जर्सी यूएएस में बसे हुए हैं| उनके सहयोग से खाने-पीने की चीजों का इंतजाम हुआ| खैरा बाबाजी के लंगर में नाश्ते के रूप में ब्रेड या बिस्कुट के साथ चाय का नाश्ता शामिल है|
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