लॉकडाउन के बीच इन volunteers ने की नेक काम की शुरुवात

लॉकडाउन के बाद, कई चीजों में एक ठहराव आया है| लेकिन इन बाधाओं के बावजूद, ये युवा महिलाएं इस बात का ध्यान रख रही हैं कि स्वच्छता और जागरूकता को प्राथमिकता दी जाए।

बिना स्वार्थ के काम कर रहे volunteers, डॉ सागरिका नित्यानंद (28) और मानसा राव (24), COVID-19 महामारी में महिलाओं को मासिक धर्म के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को समझा रहे हैं| वो मलिन बस्तियों में महिलाओं को सैनिटरी प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूट करने के साथ ही अवेयरनेस सेशंस भी होस्ट कर रहे हैं।

पहले डिस्ट्रीब्यूशन के बाद, उन्होंने पाया कि कई दैनिक वेतन / प्रवासी कर्मचारी डिस्पोजेबल सेनेटरी पैड का दोबारा इस्तेमाल कर रहे थे, जो इस महामारी के दौरान महिलाओं के ज़िंदा रहने पर एक सवाल खड़ा कर रहा था| Volunteers ने तब एक साथ मिलकर मासिक धर्म स्वच्छता किट (menstrual hygiene kits) देना शुरू किया| जिसमें महिला प्रवासी / दैनिक मजदूरी श्रमिकों के लिए (7) सैनिटरी पैड, साबुन और हैंड सैनिटाइजर थे।

Volunteers का कहना है कि लोकल कम्युनिटी के भारी सपोर्ट से मैसूरु में 1,000 किट कि डिस्ट्रीब्यूशन से शुरू हुआ प्रोजेक्ट, बड़े पैमाने में शहर में 10,000 किट की डिस्ट्रीब्यूशन में बदल गया| सबसे बड़ा डिस्ट्रीब्यूशन भरतनगर का था, जहाँ घर-घर जाकर किट बांटीं गयीं थीं|

volunteers
Photo : newindianexpress.com

डिस्ट्रीब्यूशन ड्राइव्स में हिस्सा लेने वाले विभिन्न कामों के 15 volunteers की एक टीम किट की पैकिंग कर रही है और क्राउड फंडिंग के जरिए किट के लिए पैसे भी जुटा रही है (प्रत्येक किट की कीमत 60 रुपये है)| टीम मैसूरु में विशेष रूप से सैनिटरी कचरे के लिए डस्टबिन सेट-उप करना चाहती है। इन दोनों ने पिछले दो महीनों में मैसूरु में 16 झुग्गियों और 40 कम आय वाली जगहों पर विजिट किया है और 7,500 महिलाओं तक पहुंच चुके हैं|

डॉ सागरिका, जो महिलाओं के साथ one-to-one consultation करती हैं, ने कहा कि कई मलिन बस्तियों में उन्हें पता चला कि कोई proper waste disposal mechanisms नहीं हैं और महिलायें अक्सर जलाने, दफनाने या पानी में बहाने का सहारा लेती हैं| कई महिलाएं menstrual products का दोबारा इस्तेमाल करती हैं| वो, लड़कियों को मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में शिक्षित करने के लिए हाई स्कूलों में प्रेसेंटेशन्स देने का प्लान भी बना रहे हैं।

मानसा का कहना है कि वो पिछले दो महीनों में 10,000 से ज्यादा महिलाओं से मिलकर खुश हैं| उन्हें उम्मीद है कि उनकी इस पहल से महिलाओं को आराम मिलेगा|

उनकी योजना स्थानीय सरकारी स्कूलों को उनके पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में menstrual hygiene manual शुरू करना है|

सोशल मीडिया और वर्ड ऑफ माउथ का उपयोग करके फंड भी जनरेट किया जा रहा है। इस बारे में बात करते हुए कि किस तरह से पहल में मदद मिली है, केएससीबी कॉलोनी कल्यानगिरी की समीना जबीन का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान किट मिलना एक वरदान रहा है क्योंकि महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकिन खरीदना मुश्किल हो गया था|

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Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

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