पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय से पुलिस ऑफिसर बनने तक का सफ़र
सपने को सच में पूरा किया जा सकता है अगर सपने देखने वाले के पास वो अदम्य इच्छाशक्ति, ड्राइव और चिंगारी है, जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए| सपना वो नहीं है जिसे आप अपनी नींद में देखते हैं, बल्कि सपना वो है जो आपको सोने नहीं देता है।
इस वाक्यांश से प्रेरित होकर, समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के एक युवा ने हमेशा जीवन में कुछ महान हासिल करने के लिए बड़ा सपना देखा और सफलता उसके पीछे परछाई की तरह आई। किसने सोचा होगा कि एक पिज्जा डिलीवरी देने वाला, एक दिन स्पेशल पुलिस ऑफर पायेगा ?
जी हां, आज Moin Khan खाकी में अपने कन्धों पर चमकते सितारों के साथ गर्व से खड़े हैं। उनकी कहानी हमें बड़े सपने देखना और जीवन में बड़ा हासिल करना सिखाती है।
उग्रवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर में Moin Khan ने एक वेटर, एक कार वॉशर और सात साल से अधिक किराने की दुकान पर एक हेल्पर के रूप में काम किया| लेकिन, आज वो खाकी में अपने कंधे पर चमकते सितारों के साथ शान से खड़े हैं|
28 साल के Moin Khan अपनी व्यापक उपलब्धि का श्रेय एक आईपीएस अधिकारी द्वारा मुफ्त में चलायी गयी कोचिंग क्लासेस को देते हैं|
Moin ने बताया कि वो जम्मू जिले के नगरोटा निर्वाचन क्षेत्र के थांडा पाणी गाँव से ताल्लुक रखते हैं| उनके माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं हैं और वो परिवार में पहले स्नातक (graduate) हैं| वर्तमान में, मोइन खान उधमपुर पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में प्रशिक्षण अभ्यास (training drills) से गुजर रहे हैं|
उनके अनुसार उनके पिता मोहम्मद शरीफ गुजरात में एक भोजनालय (ढाबा) खोलने से पहले दूध बेचते थे, लेकिन 2009 में उनका एक एक्सीडेंट हो गया| एक्सीडेंट के बाद, खान, जो कि अपने परिवार के लिए इकलौते कमाने वाले थे, ने पढ़ाई के साथ छोटे कामों को करना सीखा|
उन्होंने कहा कि उन्होंने 2012 में कॉरेस्पोंडेंस के जरिये वाणिज्य (कॉमर्स) में स्नातक किया, फिर तीन साल के लिए प्रति माह लगभग 2,500 के लिए वेटर के रूप में पिज्जा हट में काम किया| इसके साथ ही, उन्होंने बीबीए पढ़ाई भी की|
पिज्जा हट में हर शाम 6 बजे से रात 2 बजे तक खान ने कड़ी मेहनत की। वो वहाँ भी नहीं रुके और दोस्तों की मदद से कार धोने का व्यवसाय शुरू करने के लिए नरवाल में अपने लिए उपलब्ध एक छोटी सी जगह का उपयोग कर 3 साल तक कार वॉशर के रूप में काम किया।
आखिरकार, 2016 में sub-inspectors की रिक्रूटमेंट के लिए एक अधिसूचना निकली और उन्होंने इसके लिए अप्लाई कर दिया|
उनके दोस्त ने उन्हें एक आईपीएस अधिकारी द्वारा एक बैंक्वेट हॉल के बारे में बताया जिसमें कमजोर वर्ग के छात्रों को मुफ्त पढ़ाया जाता था। उन्होंने वो क्लासेज ज्वाइन कर ली, जिसने उन्हें पेपर क्रैक करने में मदद की। परिणाम घोषित हुए और उन्होंने उधमपुर में पुलिस प्रशिक्षण अकादमी ज्वाइन कर ली|
Moin Khan की कहानी शुद्ध धैर्य की कहानी है। ये पिज्जा हट वेटर से पुलिस सब-इंस्पेक्टर बनने तक का सफर है। कहते हैं न कि कोई भी बहाना हमारे सपनों को पूरा करने से बड़ा नहीं है। नेक इन इंडिया उनके इस साहस को सलाम करता है|
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