22 रूपए के जूतों ने बदली Jaibhagwan की किस्मत

Jaibhagwan महज 22 रुपये के जूते खरीदकर टूटी साइकिल से स्टेडियम जाते थे| सस्ते जूते कुछ दिन भी नहीं चल पाते थे तो एक पांव में ही जूता पहनकर प्रेक्टिस किया करते थे। कभी खाने के लिए सोचते तो कभी आगे की पढ़ाई के बारे में। फिर एक दिन स्टेट गेम्स में अच्छे प्रदर्शन पर 3100 रुपये का पुरस्कार मिलने पर उन्हें नई राह दिखाई दी। बस, फिर क्या था वो आगे बढ़ते गए और ओलंपिक खेलने का सपना सच कर दिखाया। आज वो युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए पूरे हरियाणा में पांच जगह एकेडमी चला रहे हैं। यहां लड़कियों को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है और वो चाहते हैं कि ओलंपिक में उनके ये खिलाड़ी भारत के लिए पदकों की लाइन लगा दें|

Jaibhagwan
Photo : scroll.in

68वें ऑल इंडिया पुलिस रेसलिंग क्लस्टर में उभरते खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करने पहुुंचे ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता मुक्केबाज Jaibhagwan ने सूत्रों को बताया कि बचपन से उन्हें इस खेल से गहरा लगाव था। फिल्मों में ही-मैन धर्मेंद्र को ढिशुम-ढिशुम करते देख कब मुक्केबाजी के प्रति गहरा लगाव हो गया, उन्हें पता ही नहीं चला। उनके पिता राजपाल सिंह पीडब्ल्यूडी में थे और अभाव भरी ज़िंदगी में भी वो उन्हें आगे बढऩे का हौसला देते रहे। इससे उनमें कभी नकारात्मकता नहीं आई।

हिसार में जिस छोटे से घर में वो रहते थे, उसी के पड़ोस में बॉक्सर सूबे सिंह बेनीवाल का घर था। उन्हें रोज प्रेक्टिस करते देख जयभगवान ने भी प्रशिक्षण शुरू कर दिया। जब पहली बार जयभगवान ने एशियन गेम्स में मेडल जीता तो बेनीवाल बहुत खुश हुए थे। कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने का रिकॉर्ड बना चुके जयभगवान ने 2010 में ओलंपिक भी भाग लिया, लेकिन ओलंपिक पदक का उनका सपना अधूरा ही रह गया।

Jaibhagwan
Photo : thehindu.com

2014 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित जयभगवान ने बताया कि संघर्ष और अभाव ने ही उनमें गहरा आत्मविश्वास जगाया। फरीदाबाद, फतेहाबाद, सिरसा व हिसार समेत पूरे हरियाणा में पांच एकेडमी चला रहे जयभगवान, लड़कियों को निशुल्क ट्रेनिंग देने के साथ ही करीब 900 खिलाडिय़ों को ट्रेनिंग देते हैं।

संयुक्त परिवार के धनि Jaibhgwan का कहना है कि परिवार के साथ ने ही उन्हें यहाँ पहुँचाया है| अपने परिवार में एक छोटे भाई, दो बहनों समेत माता-पिता से मिले प्यार को जयभगवान अपनी ताकत मानते हैं तो पत्नी और दोनों बेटियों से भी बहुत गहरे जुड़े हैं।

Jaibhagwan
Photo : newindianexpress.com

हरियाणा पुलिस में एसएचओ Jaibhagwan कहते हैं कि भारतीय मुक्केबाज हर मोर्चे पर खूब दमखम रखते हैं लेकिन चोट और रोगों के उपचार में उन्हें अभी भी समस्याओं से जूझना पड़ता है। भारत में इस बेहद अहम और संवेदनशील पहलू पर बारीकी से ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

#NekInIndia

(हमसे जुड़े रहने के लिए आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं )

Facebook Comments
(Visited 124 times, 1 visits today)

Geeta Rana

I am a Content Writer by Hobby, A Blogger by profession, as well as Owner of Nekinindia.com.

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Facebook

SuperWebTricks Loading...
error: Content is protected !!
%d bloggers like this: