WhatsFarzi के जरिये अब आसानी से लड़ सकेंगे फेक न्यूज़ के खतरे से
IIIT दिल्ली के स्टूडेंट्स को लगता है कि उनके पास नकली समाचारों के बढ़ते खतरे का जवाब है। उन्होंने सोशल मीडिया पर तैर रहे होक्स को मारने के लिए व्हाटसफरज़ी (WhatsFarzi) नाम से एक ऐप विकसित किया है।
एप्लिकेशन (WhatsFarzi) एक कस्टम लॉगरिदम का उपयोग करता है जो सभी सेक्शंस और वेबसाइटों से किसी विशेष विषय पर समाचार को जोड़ता है और एक ऑथेंटिक और वेरिफ़िएड न्यूज़ पोर्टल से सेम टॉपिक पर समाचार के साथ वेरीफाई करता है। एप्लिकेशन को उनकी प्रामाणिकता के लिए फ़ोटो वेरीफाई करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
आईआईआईटी दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर पोन्नुरंगम कुमारगुरु ने सूत्रों को बताया कि 2015 में स्नातक करने वाले उनके पीएचडी स्टूडेंट्स में से एक ने ट्विटर और फेसबुक पर गलत सूचना और फर्जी कंटेंट के फैलने का अनलाइज़ेशन किया था। उस रिसर्च के साथ, ट्विटर के लिए गूगल क्रोम ब्राउज़र एक्सटेंशन डेवेलोप किया गया था और बाद में फेसबुक के लिए एक एक्सटेंशन डेवेलोप किया गया था।
आईआईआईटी के प्रोफेसर ने दावा किया कि पिछले साल ही 70 से अधिक घटनाएं हुई थीं, जिसमें 30 से ज्यादा लोगों की मौत व्हाट्सएप पर लोगों की गलत सूचना के कारण हुई थी|
उन्होंने कहा कि इस समझ के साथ, और व्हाट्सएप पर नकली कंटेंट फैलने के कारण लिंचिंग कैसे हो रही है, ये देखते हुए उन्होंने पिछले साल अगस्त से एक ऐप (WhatsFarzi) पर काम करना शुरू कर दिया था ताकि इस खतरे का मुकाबला किया जा सके।
इंस्टिट्यूट के तीन स्टूडेंट्स ने ऐप (WhatsFarzi) डेवेलोप किया, जो पिछले हफ़्ते रिलीस्ड किया गया था और ऐप स्टोर पर उपलब्ध है।
थर्ड ईयर के स्टूडेंट सूर्यतेज रेड्डी डेवलपर्स में से एक थे। रेड्डी ने कहा कि टेक्सचुअल क्लेम्स को वेरीफाई करने के लिए, वो एक नॉलेज ग्राफ का इस्तेमाल करते हैं, जहाँ वो उन सभी relevant entities को एक्सट्रेक्ट करते हैं, जो आर्टिकल्स में लोगों, संगठनों, स्थानों, उत्पादों के अनुरूप हैं और फिर क्रेडिबल सोर्सेज से रियल न्यूज़ के साथ ग्राफ को अपडेट करते हैं और क्विक एक्सेस के लिए इसे डेटाबेस में स्टोर करते हैं। एलिमेंट्स को तब वेरीफाई करने के लिए ऑथेंटिक न्यूज़ पोर्टलों के आर्टिकल्स की मदद से चलाया जाता है|
(हमसे जुड़े रहने के लिए आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं )