खुद आग में तपकर बेटे को पहुँचाया मुकाम तक
बहुत से लोग होते हैं जो अपनी आर्थिक स्थिति या किस्मत को दोष देकर ज़िंदगी में कुछ ना बन पाने का रोना रोते हैं, लेकिन कुछ लोग पंजाब के Ajay Kumar Singh की तरह भी होते हैं, जो अपनी किस्मत को कोसने की बजाए मेहनत करते हैं और अपना रास्ता खुद बनाते हैं|
जी हाँ, Ajay Kumar Singh के माता-पिता तंदूर पर रोटियाँ बनाने का काम करते हैं| जबकि, वो आज अपनी मेहनत के बलबूते judge बन चुके हैं|
Ajay के पिता बलवीर सिंह और माँ आशा रानी अबोहर की आनंदनगरी में तंदूर पर रोटियाँ पकाने का काम करते हैं| अपने इसी काम के सहारे, उन्होनें अपने सभी बच्चों की परवरिश की| हालांकि, Ajay के परिवार में कोई भी 10वीं क्लास से आगे नहीं पढ़ा है|
ग़रीबी की वजह से Ajay को भी 9वीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़कर नौकरी करना शुरू कर दिया| उन्होनें एक सीनियर एड्वोकेट के यहाँ क्लर्क रहते हुए अपनी 10th और 12th की पढ़ाई प्राइवेट तौर पर पूरी की| इसके बाद उन्होनें अबोहर के ही ख़ालसा कॉलेज से बीए की डिग्री पूरी की|
बीए करने के बाद उन्होनें पंजाब यूनिवर्सिटी के बठिंडा सेंटर से लॉ की डिग्री ली| पढ़ाई पूरी करने के बाद Ajay लॉ सर्विस एग्ज़ॅम की तैयारी में जुट गये| Ajay ने बताया कि उन्होनें ये PCS Judicial का एग्ज़ॅम दूसरी बार में पास किया| ख़ास बात ये थी कि उन्होनें ये मुकाम बिना किसी कोचिंग के हासिल किया|
Ajay Kumar Singh का कहना है कि वो आज जो कुछ भी हैं, वो सिर्फ़ अपने माता-पिता की मेहनत की वजह से हैं| उनका कहना है कि उनके माँ-बाप ने खुद आग में तपकर, उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है| उनकी इस सफ़लता को देखकर कहा जा सकता है कि मेहनत का फल निश्चित ही मीठा होता है|
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