Sanchayita की 4 साल की लड़ाई ने बनाया उसे आज़ाद पंछी
वो अपना चेहरा नहीं बचा पाई, लेकिन उस औरत ने अपनी ताक़त को पिछले 4 सालों से बचाकर रखा और अपने आरोपी को उसके किए की सज़ा दिलाने पर अपना पूरा ध्यान लगाया| मानो 25 साल की Dum Dum की रहने वाली Sanchayita Yadav का यह आज़ादी का दिन था, जब पुलिस ने उसके फॉर्मर बाय्फ्रेंड Soumen Saha को गिरफ्तार कर लिया, जिसने उसके चेहरे पर acid फेंका था|
September 2014 में जब Sanchayita अपनी माँ के साथ Sethbagan, Dum Dum की एक दुकान में जा रही थी, तो एक बाइकर ने उसे सामने आकर रोका और उसके उपर एक liquid फेंक दिया| उसने अपना सिर एक तरफ को झुका लिया था, लेकिन उससे कुछ नहीं होने वाला था| कुछ ही मिनटों में वो liquid उसके शरीर के अंदर चला गया और जलन के साथ उसे दर्द होना शुरू हो गया|
अगले कुछ महीनों तक Sanchayita Yadav और उनकी माँ हर उस लड़ाई से लड़ती रहीं, जो उनकी ज़िंदगी में आ रहीं थी| उनकी माँ, जो कि एक साल पहले विधवा हो गयीं थी, को अपनी बेटी के इलाज़ के लिए लोन लेना पड़ा| अपनी बेटी की दाहिनी-आँख बचाने के लिए वो बहुत लड़ी, लेकिन वह नहीं बचा पाईं| मामला पुलिस के पास दर्ज़ कराया गया, लेकिन ज़्यादा कोई जाँच-पड़ताल नहीं हुई|
डम डम पुलिस स्टेशन के एक ऑफीसर ने बताया कि Sanchayita को एक NGO ने contact किया, जो कि acid attack survivors की मदद करता है और तब से वही उसके साथ खड़ा है| उन्होनें उसे एक human rights NGO से मिलवाया, जिसने कलकत्ता उच्च न्यायालय में पुलिस निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए Sanchayita को एक मामला दर्ज करने में मदद की| इस मामले की जांच आखिरकार 2017 में शुरू हुई जब उसका बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट के सामने दर्ज किया गया| तब तक बहुत समय हो गया था और हमलावर को पकड़ना मुश्किल हो रहा था| लेकिन कल वो आरोपी को सोनारपुर से गिरफ्तार करने में कामयाब रहे|
एक लोकल ट्रेन में सफ़र करते हुए Sanchayita ने बताया कि ये सिर्फ़ physical attack नहीं बल्कि एक सामाजिक कलंक था, जो उसे सहना पड़ा| लोग उसपर हंसते और उसके बिगड़े हुए चेहरे का मज़ाक उड़ाते थे| एक दिन उसे एहसास हुआ कि ये वापिस लड़ने का वक़्त है और अगले ही दिन से उसने दुपट्टे से अपना चेहरा ढकना छोड़ दिया|
Sanchayita को एहसास हुआ कि उसकी सबसे बड़ी ताक़त उन्हीं लोगों से आएगी जो उसकी तरह पीड़ित हैं| जब उसने बाकी पीड़ितों से बात की तो उसे मालूम हुआ कि इन घटनाओं के बाद उनकी ज़िंदगी थम गयी है| जितना उसने उन लोगों से बात की, वो उतनी ही मज़बूत होती गयी| Sanchayita ने 2016 में एक human rights organisation जाय्न कर लिया और उनके साथ काम करने लगी| उसे एहसास हुआ कि उसकी हालत उन लोगों के मुक़ाबले ज़्यादा सही है, जो अच्छी तरह से खाना तक नहीं खा सकते| उनमें से ज़्यादातर लोग अपने हमलावरों को सज़ा नहीं दिला पाए थे|
जैसे ही Sanchayita ने Saha को पुलिस स्टेशन में देखा तो उसे थप्पड़ मार दिया| उसने कहा कि पिछले 4 सालों से उसकी ज़िंदगी बहुत दर्द से गुज़री है और Saha आज़ाद घूमता रहा| उसे देखकर वो खुद को उसे थप्पड़ मरने से रोक नहीं पाई|
Sanchayita ने कहा कि अभी वो आधी लड़ाई जीती है| वो judge का उसे दोषी ठहराने का इंतज़ार कर रही है| जिससे उसमें और उस जैसे बाकी लोगों में विश्वास पैदा होगा|