Amit Gupta को बैग के बदले मिली अपने बच्चों की education free
Amit Gupta ने बहुत बड़ा काम नहीं किया, बल्कि एक passenger का उसके ऑटो में भुला हुआ bag वापिस कर के एक अच्छा काम किया, जिससे कि अब उसे अपने बच्चों की पढ़ाई कराने के संघर्ष में मदद मिलेगी|
दो महीने पहले, Sarla Namboodiri (68), जो कि प्राइमरी और प्रीप्रिमरी बच्चों के लिए चेंबुर में अरुणोदय ईसाई स्कूल चलाती है, ने Gupta की ऑटो से अपनी कार तक पहुँची थी, जो कि institute से कुछ दूर खड़ी थी। नंबूडिरी ने बताया कि वह स्कूल आई थीं, लेकिन उन्होनें अपनी गाड़ी थोड़ी दूर पार्क करी थी| चूंकि उन्हें चलने में कुछ दिक्कत थी इसलिए स्कूल के बाद लगभग 3 बजे के आसपास उन्होनें कार पार्किंग तक ऑटो ले लिया|
21 दिसंबर को भी उन्होनें गाड़ी तक पहुंचने के लिए एक ऑटो ले लिया, लेकिन उतरने से पहले वह अपना बैग ले जाना भूल गयीं| Namboodiri ने बताया कि अपनी कार तक पहुंचने के बाद उन्हें पता चला कि उन्होनें अपना बैग ऑटो में छोड़ दिया है और वह डर गयीं|
उस बैग में 80,000 नकद रुपये,जो कि स्टूडेंट्स की फीस थी, Namboodiri के क्रेडिट और डेबिट कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, कार पंजीकरण दस्तावेज, दो सेलफोन, घर और लॉकर की चाबियाँ रखी हुई थीं|
Namboodiri ने कहा कि वह अकेली रहती हैं और अगले दिन स्कूल की छुट्टी थी| कुछ वक़्त के लिए उन्हें समझ नहीं आया कि वह क्या करें और वो सीधे स्कूल चली गयीं| वहाँ उन्होनें अपने peon से ऑटो को ढूँडने को कहा| एक peon मेन रोड पर एक पान वाले के पास गया, जहाँ पान वाले ने उसे बताया कि ऑटो वाले ने उसके पास ऑटो रोक के अपना नाम Amit Gupta बताया था|
क्यूंकी Namboodiri के पास Gupta का कोई contact नंबर नहीं था, इसलिए शिकायत दर्ज़ करने के लिए उन्होनें पुलिस पास जाने का मन बना लिया| लेकिन उनका भाग्य अच्छा था, आधे घंटे बाद Gupta बेग के साथ स्कूल पहुँचा| उसने बताया कि कोई दूसरी सवारी को वो बैग मिल गया था, लेकिन Amit Gupta को याद था कि वो बैग Namboodiri के पास था|
Gupta के जाने के बाद, उन्हें बहुत धक्का लगा कि उन्होनें उसका contact नंबर भी नहीं लिया| Namboodiri उसके लिया कुछ करना चाहती थीं| वो उस पान वाले के पास गयी, लेकिन उसने जो नंबर दिया वो ग़लत निकला और उसके बाद कुछ हफ्तों तक उनकी तबीयत ख़राब होने की वज़ह से वो बहुत बीमार पड़ गयीं| लेकिन, उन्होनें ऑटो वाले की तलाश जारी रखी| कुछ दिन पहले ही उन्हें गुप्ता के बारे में पता चला और उन्होनें उसे स्कूल आकर मिलने को कहा|
Namboodiri को पता चला कि Gupta की financial condition अच्छी नहीं है| उसके दो बच्चे हैं, जिन्हें वो स्कूल नहीं भेज सकता| एक फॉर्मर टीचर और एजुकेशन सेक्टर में experience होने की वजह से Namboodiri ने उसके बच्चों को free education देने का फ़ैसला लिया|
Amit Gupta को ईमानदारी के लिए शाबाशी और 10,000रुपये से सम्मानित किया गया|